तुम भी मारी जाओगी
फितन-ए-इर्तिदाद में मुब्तला होती और गै़रों के साथ शादी रचाती मिल्लत की बेटियों के लिए दर्द भरा पै़गाम हो सके तो ये नज़्म उर्दू , इंग्लिश और अ़लाक़ाई , ज़बानों में मुन्तक़िल करके ज़्यादा से ज़्यादा फैलायें , ख़ास़ त़ौर से स्कूल काॅलेज यूनिवर्सिटी के त़लबा व त़ालिबात तक पहुँचायें , हमारी कोशिशों से अगर किसी के बहकते क़दम रुक गए तो बाइ़से अज्र और मिल्लत के ह़क़ में मुफ़ीद तर होगाअज़ फ़रीदी स़िद्दिक़ी मिस़्बाह़ीवारिद ह़ाल , रसूल पुर ज़िला बारह बंकी यू .पी. इंडिया
पहले चाहत, फिर निगाहों से उतारी जाओगी
आबरू भी जाऐगी और तुम भी मारी जाओगी।
तुम फिरोगी दरबदर, रुसवाई और ज़िल्लत के साथ
बेटियों ! जब छोड़कर निस्बत हमारी जाओगी।
ये तो एक साज़िश है, वरना तुम नहीं उनको क़बूल
कल वही नफ़रत करेंगे, आज प्यारी जाओगी।
जिस घड़ी दिल भर गया कोठे पे बेचेंगे तुम्हें
दाग़ लेकर होगी वापसी और कुंवारी जाओगी।
जिसके दम पर घर से निकली, कल वो जब देगा फ़रेब
सोचलो किस सम्त फिर तुम पाँव भारी जाओगी।
इ़ज़्ज़त व अ़ज़मत गंवाकर मुंह दिखाओ गी किसे?
करते करते दुनिया से तुम आह व ज़ारी जाओगी।
उतरे गा थोड़े दिनों में ही जवानी का नशा
ज़ुल्म की आगौश में जब बारी बारी जाओगी।
कोई मज़हब दे न पाएगा तुम्हे ऐसा ह़िस़ार
छोड़कर इस्लाम की जब पासदारी जाओगी।
है शरीअ़त ही तुम्हारी पासबाँ ऐ बेटियों !
दामने इस्लाम में ही तुम संवारी जाओगी।
प्यारी बहनों ! इ़फ़्फ़त व शर्म व ह़या अपनाओ तो
देखना फिर नूरे ह़क़ से तुम निखारी जाओगी।
तुमको कुछ शिकवा था , तो आपनो से कर देतीं बयाँ
इतने पर , क्या दूसरों की तुम " अटारी " जाओगी।
आह दोज़ख को ख़रीदा , तुमने ईमाँ बेचकर
आह अब रोज़े जज़ा , तुम बनके नारी जाओगी।
रोती है चश्मे "फरीदी" देख कर अंजामे बद
गर ना संभ्लोगी तो लेने स़िर्फ़ ख़्वारी जाओगी।
अटारी.. बाला ख़ाना , छत
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Thanks شکریہ
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